मंगलवार, 27 जून 2023

कविता :"गर्मी "

"गर्मी "
 इस गर्मी के मौसम ने | 
किया सबको बेहाल 
ऐसी और पंखा इस गर्मी | 
में काम ना आये 
पसीना रुकने का नाम ना ले | 
इस गर्मी के मौसम ने 
किया सबको बेहाल | 
तापमान दिन पर बढ़ता ही जाता 
रात में गर्मी की मार न 
चैन से नींद न आते है | 
सिर्फ पसीना से बेहाल है  
इस गर्मी के मौसम ने | 
किया सबको बेहाल 
कवि :संतोष कुमार  ,कक्षा :8th
अपना घर  

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