"गर्मी "
इस गर्मी के मौसम ने |
किया सबको बेहाल
ऐसी और पंखा इस गर्मी |
में काम ना आये
पसीना रुकने का नाम ना ले |
इस गर्मी के मौसम ने
किया सबको बेहाल |
तापमान दिन पर बढ़ता ही जाता
रात में गर्मी की मार न
चैन से नींद न आते है |
सिर्फ पसीना से बेहाल है
इस गर्मी के मौसम ने |
किया सबको बेहाल
कवि :संतोष कुमार ,कक्षा :8th
अपना घर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें