" रूठ गई वह मौसम "
रूठ गई वह मौसम |
जो शीतल हवाएं देती थीं ,
झुलस गए वो पौधें |
जिस पर फूल निराली खिली थीं,
आज काले छाए है बादल|
जो वर्षों से नहीं दिखती थी,
रूठ गई वह हवा |
जो दिल को ठंढक पहुंचती थी,
रूठ गया वह सूरज|
अब तो पानी का न ठिकाना था,
सूख गई तालाब -नदियाँ |
क्योंकि जमाना ही बेगाना था,
कवि :सुल्तान ,कक्षा :9th
अपना घर
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