"रिजल्ट "
सोच सोचकर था मै परेशान |
जिसका था वर्षों से इंतजार
न गुजर रहा था सुबह और शाम|
इधर उधर को भटकते रहते
एक जगह ना मैं चैन से बैठता |
हर पल रिजल्ट की याद आता
हर लोग के सवाल से लड़ते |
सुबह शाम एक ही बाते सुनने को मिलता
कवि :सार्थक कुमार ,कक्षा :12th
अपना घर
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