शनिवार, 31 जुलाई 2021

कविता: " वीर क्रांतिकारियो में था दम "

" वीर क्रांतिकारियो में था दम "

 वीर क्रांतिकारियो में था दम | 

दिल्ली के विधानसभा में भगत सिंह ने फैंका था बम ,

13  अप्रैल 1919 में हुआ था जालियावाला बाग में काण्ड | 

आज भी वहाँ है दीवारों पर गोलियों का निशान ,

काकोरी काण्ड में सामिल थे कई जवान |  

देश को आज़ाद कराने के लिए ,

दिया था अपना जान | 

उनके बलिदान से ही बना देश महान ,

कवि : अमित कुमार , कक्षा : 7th 

  घर


शुक्रवार, 30 जुलाई 2021

कविता : "कोरोना"

"कोरोना"

कोरोना ने जब बदली अपनी चाल | 

देश का हुआ पहले से बुरा हाल ,

ना जाने कब टलेगी | 

इस महामारी का इंजाम ,

जो करता नहीं है रूल को फलो | 

वही आ रहे है कोरोना के चपेट में यारों ,

अपने को बचना है तो | 

नियम को अपनाना है ,

कवि : राजा कुमार , कक्षा : 5th 

अपना घर

गुरुवार, 29 जुलाई 2021

कविता :" मै निकला हूँ अपने तलाश में "

" मै निकला हूँ अपने तलाश में "

मै निकला हूँ अपने तलाश में | 

कोई नजर नहीं आता आस -पास में ,

कहाँ खो बैठा उनको | 

जो रहता था मेरे पास में ,

मै निकला हूँ अपने तलाश में | 

भूखें प्यासे घूमता रहता हूँ ,

खोंजने की कोशिश करता हूँ | 

मैं रहना चाहता था उसके पास में ,

लेकिन मै निकला हूँ अपने तलाश में | 

कवि : रविकिशन कुमार , कक्षा :12th 

अपना घर

बुधवार, 28 जुलाई 2021

कविता :" इस ऊमस भरी गर्मी में "

" इस ऊमस भरी गर्मी में "

 इस ऊमस भरी गर्मी में  | 

कैसे जिया जाए क्या किया जाए ,

कुछ सूझता नहीं , तन सूखता कहीं | 

बिन हवा के कैसे रहा जाए ,

इसे ऊमस भरी गर्मी में कैसे रहा जाए | 

पसीने की कतार -धार चढ़ी है ,

बिना पेड़ो के गर्मी और भी कड़ी है | 

इस ऊमस भरी गर्मी में कैसे रहा जाए ,

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 12th 

अपना घर

मंगलवार, 27 जुलाई 2021

कविता : " कितना भी पास हो हमारी मंजिल "

" कितना भी पास हो हमारी मंजिल "

कितना भी पास हो हमारी मंजिल | 

उसे पाना आसान नहीं ,

जिंदगी की हर एक मोड़ सीधा नहीं है | 

थक जाना थक कर फिर चलना ,

रुकने का जहन में कभी नाम नहीं | 

पसीने से लथपत हो जाना ,

पर जिंदगी और मंजिल के |

रास्ते पर न रुकना ,

दशर्ता है हर एक व्यकित की | 

मेहनत को और शाहस को ,

कभी भी अकेले न छोड़ना | 

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 11th 

अपना घर

सोमवार, 26 जुलाई 2021

कविता :"मौसम"

"मौसम"

ठण्डी -ठण्डी हवाएं बह रही है | 

मौसम में सर्द चढ़ रही है ,

काले बादलों का है साया | 

चारों ओर अंधेरा छाया ,

कोयल की कूह -कूह |

मेढ़को की टर्र -टर्र ,

मौसम लगा रहा है शानदार | 

पानी की बूंदे है जानदार ,

मीठे -मीठे फल पक रहे है | 

चरो ओर चिडिया चहक रहे है ,

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 10th 

अपना घर

 

रविवार, 25 जुलाई 2021

कविता : "गलती को सुधारने की"

"गलती को सुधारने की"

कुछ चीजे भी हम से छूट जाती है | 

कभी हम से वो दूर चली जाती है ,

कोशिश हम बहुत करते है | 

'कोई चीज छूट जाने की आशा रहती है ,

गलती को सुधारने की वजह बहुत हो जाते है |

 गलती  करने की बड़ी -बड़ी चीजो को ,

आसानी से सुधार सकते है | 

पर कुछ चीजें ऐसे भी है ,

जोलाख कोशिश करने पर भी नहीं बदलती है | 

कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 11th 

अपना घर


शनिवार, 24 जुलाई 2021

कविता : " धरती मुझे गोद में लेकर "

" धरती मुझे गोद में लेकर "

धरती मुझे गोद में लेकर | 

मौसम -मौसम घुमाती है ,

धरती मुझे गोद में लेकर | 

हर मौसम के साथ जीना सीखती है ,

सूरज के चक्कर लगती है |

धरती मुझे गोद में लेकर ,

पूरा बह्रामंड में घुमाती है | 

धरती सब के साथ रहना सीखती है ,

कवि : रोहित कुमार , कक्षा : 4th 

अपना घर

 

शुक्रवार, 23 जुलाई 2021

कविता : "काश पेड़ हमारे बराबर होते "

"काश पेड़ हमारे बराबर  होते "

काश पेड़ हमारे बराबर  होते | 

जब मन चाहता चिड़ियो के घोंसले में झाँक लेते ,

जब मन जब पेड़ से फल तोड़ लेते | 

चिड़ियो के बच्चो से  उनके बचपन में ही पहचान हो जाती ,

चिड़िया हमें जानती और पहचानतीं | 

उनके बच्चे के साथ खेला करते ,

भूख लगे तो उसे खिला देते | 

काश पेड़ हमारे बराबर होते ,

कवि : राहुल कुमार , कक्षा : 8th 

अपना घर

गुरुवार, 22 जुलाई 2021

कविता : " कहे पर निर्भर मत हो "

" कहे पर निर्भर मत हो "

कहे पर निर्भर मत हो | 

सुने सुनाए पर निर्भर मत हो ,

पहले खुद करके देखो |

अगर तुम में वो हिम्मत हो ,

तवे विश्वास करना उस पर | 

कोई समझाए तो ,

दूसरों को दोषी ठहरा देना | 

कहे पर निर्भर मत हो ,

कवि : रोहित कुमार , कक्षा : 4th 

अपना घर

सोमवार, 19 जुलाई 2021

कविता :"कौन थे भीम राव अमेडकर "

"कौन थे भीम राव अमेडकर  "

जब मैं बैठा माँ से हट कर | 

पूछा उनसे सवाल एक ठट कर ,

कौन थे  भीम राव अमेडकर | 

सोचने लगीं वो कुछ देर बैठकर ,

चुपके से लिया ख़िसक वहाँ से | 

माँ बैठी थी जहाँ पे ,

गया मै पुस्तकालय के अंदर |

दिखा मुझको ज्ञान का समंदर ,

एक किताब उठाकर देखा | 

उनके बारे में था लिखा ,

समझमे आया उसको पढकर | 

कौन थे भीम राव अमेडकर , 

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 11th 

अपना घर

शनिवार, 17 जुलाई 2021

कविता : "कैसा जाएगा मेरा एग्जाम "

"कैसा जाएगा मेरा एग्जाम "

आज शाम को मै सोच रहा था | 

कि कैसा जाएगा मेरा एग्जाम ,

फिर मैने कहा कि | 

मन से पढ़ाई करेंगे तो ,

अच्छा जाएगा एग्जाम | 

अब तो पेपर के बाद ही दिखेगा ,

कि कैसा हुआ मेरा एग्जाम | 

पेपर के बाद एग्जामपेपर,

रहा किस के काम | 

आज शाम को मै सोच रहा था ,

कवि : नवलेश कुमार , कक्षा : 7th 

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शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

कविता : "दोस्ती"

"दोस्ती"

दोस्ती भी क्या होता यार | 

जो देती जी भर कर प्यार ,

जगह -जगह पर साथ निभाता | 

हर मुसीबत  काम है आता ,

मेरी मुसीबत गले लगाता | 

जो वादा करो वो है निभाता ,

छोड़ देता सारा हार की परवाह | 

सम्हलता सिर्फ दोस्ती की राह ,

कवि : नंद कुमार , कक्षा : 5th 

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गुरुवार, 15 जुलाई 2021

कविता : " गर्मी के मौसम में "

" गर्मी के  मौसम में "

 पेड़ -पौधे और जंगल में | 

शानंती का महौल बनाता ,

गर्मी के  मौसम में | 

कोई नज़र न आए धरती और आकाश में ,

हिमत न होता बहार जाने में | 

ठंडी की जगह गर्म हवा है चलती ,

गर्मी में पसीनो की महक है आता | 

राहत देता है पेड़ की छाया ,

कवि : रोहित कुमार , कक्षा : 4th 

अपना घर

 

बुधवार, 14 जुलाई 2021

कविता : "हर गलत इंसान को कुछ ना कुछ सिखाती है "

"हर गलत इंसान को  कुछ ना कुछ सिखाती है "

हर गलत इंसान को  कुछ ना कुछ सिखाती है | 

लेकिन कुछ गलत कर दे ,

तो वहीं गलत इंसान को हमेशा शातती है | 

हर कोई  कहता है जो ,

पहला गलती हुआ उसे सुधरने को  कहती है | 

हर गलत इंसान को कुछ ना कुछ सिखाती है ,

कुछ गलत काम करने से पहले सोचता है | 

कवि : गोपाल कुमार , कक्षा : 4th 

अपना घर

 

 

सोमवार, 12 जुलाई 2021

कविता : " कोरोना आया जब से "

" कोरोना आया जब से "

कोरोना आया जब से | 

देश का हर काम थक गया तब से ,

दूसरों चीजों से क्या जाती है | 

पर स्कूल याद बड़ा आती है ,

कोरीडोर व सीढ़ियो पर पर | 

अकड़ कर चलना ,

और क्लास में सबसे पीछे बैठकर | 

क्रिकेट के बारे में चर्चा करना ,

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 11th 

अपना घर

कितना मज़ा  आता था

शनिवार, 10 जुलाई 2021

कविता : " जिसे हम पापा कहते है "

" जिसे हम पापा कहते है  "

 घर में होता है वह इंसान |
 जिसे हम पापा कहते है ,
सभी की खुशियां का ध्यान रखते |
 हर किसी की इच्छा पूरी करते हैं ,
खुद गरीब और बच्चों को अमीर बनाते हैं |
जिसे हम पापा कहते हैं,
बड़ों की सेवा भाई बहनों में लगाव |
पत्नी को प्यार ,बच्चों को दुलार ,
बेटी की शादी ,बेटों का मकान |
बहूओ की खुशियां दावानों का मान ,
कुछ ऐसे ही सफर में गुजर वह शाम |
जिसे हम पापा कहते हैं ,

कवि : संतोष कुमार , कक्षा : 6th 

अपना घर

गुरुवार, 8 जुलाई 2021

कविता: "कोई जगह ही था "

"कोई जगह ही था  "

जैसा भी था पर कोई जगह ही था |
नदी हो या फिर कोई नाला ही था ,
पर पानी से वह भरा ही था |
बाँस - बसेड़ियों और अन्य पेड़ों से था हरा हरा ,
अलग - अलग पक्षियों से भी था भरा |
पेड़ों पे और झाड़ियों में, था हलचल स कुछ हो रहा ,
 जब देख, तो कुछ जानवर था भाग रहा |
जैसा भी था पर कोई जगह ही था ,

कवि : पिंटू कुमार , कक्षा : 6TH 

अपना घर

मंगलवार, 6 जुलाई 2021

कविता : "एक नया संसार बना लूँ "

"एक नया संसार बना लूँ "

एक नया संसार बना लूँ | 

इस जहा को अपना यार बनालू ,

जग में कुछ मेरा नाम हो | 

एक अनोखा काम हो ,

जातिया हमारी एक हो |

सब को यही जता दू ,

सपनों के जैसा हो | 

किसी चीज की कमी ना हो ,

एक नया संसार बना लूँ | 

कवि : रोहित कुमार , कक्षा : 4th 

अपना घर


सोमवार, 5 जुलाई 2021

कविता : "मिट्टी "

 "मिट्टी "

मिट्टी में पला गरीब का बच्चा | 

मिट्टी ने पाला उसे ,

मिट्टी पर ही गिरा |  

और मिट्टी ही संभाला ,

मिट्टी में ही हल है | 

और मिट्टी में ही कल है ,

गरीब मिट्टी में काम कर -कर के | 

अपना पूरा जिंदगी गुजार देते है ,

अपने परिवार को चलाने के लिए |  

कवि : राहुल कुमार , कक्षा : 8th 

अपना घर

रविवार, 4 जुलाई 2021

कविता : "हिंदी "

"हिंदी "

शहीद वीरों का पहचान है हिंदी | 

सीमा  पर खड़े एक जवान है हिंदी ,

साहित्यकारों के दिलो में बसती है हिंदी | 

भारत में लोगों के लफ्जों में सजती है हिंदी ,

हिंदुस्तान के बच्चो के होठो का लकीर है हिंदी | 

जिन्दगी भर साथ चलने वाली एक हीर है हिंदी ,

भारत सविधान का तस्वीर है हिंदी | 

लोगों को जोड़ने का जंजीर है हिंदी ,

हिंद की रानी है हिंदी | 

शहीदो की कहानी है हिंदी ,

कवि : देवराज कुमार , कक्षा :11th 

अपना घर

शुक्रवार, 2 जुलाई 2021

कविता : "सलाम करो उन शहीदो को "

"सलाम करो उन शहीदो को "

सलाम करो उन शहीदो को | 

जिसने देश को आज़ाद किया ,

गुलाम बनाओ उनको जिसने | 

देश को बरबाद किया ,

जिसने तेईस साल के उम्र | 

में ही उसने फांसी को चुना है ,

देश को आज़ाद कराने के लिए | 

अपने जान को भी त्याग दिया ,

सलाम करो उन शहीदो को | 

जिसने देश को आज़ाद किया ,

कवि : गोविंदा कुमार , कक्षा : 5th 

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गुरुवार, 1 जुलाई 2021

कविता : " ये कहानी ही है अजीब "

" ये कहानी ही है अजीब "

 ये कहानी ही है अजीब | 

मेरे नही है कुछ नसीब ,

हर चीज में मेरी आता स्कावत | 

मै भरता हूँ हर होसलों से आहट ,

दुनिया है मेरा उस चाँद के पास | 

फिर मै क्या कर रहा हूँ यहा इस पार ,

मै कोशिश करता हूँ बार -बार | 

उस पार जाने को ,

क्या करू मै मेरे नसीब नहीं हैं | 

कुछ पाने को ,

ये कहानी है ही अजीब | 

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 11th 

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