बुधवार, 31 मार्च 2021

कविता : " रंग की भरमार में "

 " रंग की भरमार में "

रंगो  की भरमार में ,

होली  की त्योहर  में | 

हर व्यक्ति को रंग है लगाना ,

बचने वालो को न  छोड़ना | 

अबीर उड़े गुलाल उड़े और जाकर सब पर पड़े ,

बच्चे पिचकारी में रंग भरे |

बाकी लोगो को रंगने के  लिए तंग करे ,

होली में हर को  मिलकर हुड  डंग करे |

जो होली न खेलता हो उसका भी मन करे ,

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर

 

मंगलवार, 30 मार्च 2021

कविता :" होली का त्योहार है भाई "

" होली का त्योहार है भाई "

होली का त्योहार है भाई ,

खाओ गुझिया और  मिढ़ाई | 

लेकर  रंग दोस्तो को खुब दौड़ाई  ,

किसी के ऊपर रंग लगाए |

 किसी को नाली में फेक आई ,

होली का त्योहार  है भाई | 

रंगो का बरसात है आई ,

उसमे हम खुब नहाई | 

होली  का  त्योहार है आई ,

कवि : कामता कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

 

 

 

रविवार, 28 मार्च 2021

कविता :"' किसान ने देश के लिए बहुत कुछ किया "

" किसान ने देश के लिए  बहुत कुछ किया "

किसान ने देश के लिए  बहुत कुछ किया ,

पर सरकार ने उसे धोखा दिया |

 तीन बील उन्होने पास किया ,

किसानो को तहस -नहस कर दिया |

देश के लिए भोजन उत्पन किया ,

तीन  बिल उपास  करने  के लिए नाकर दिया | 

इस बार की  सरकार ने   मुँह  मोड़ लिया ,

तीन बिल उपास करवाने में | 

बहुत सारे किसानो नई अपना दम तोड़ दिया ,

कवि : अजय कुमार , कक्षा : 6th , अपना घर 

 

शनिवार, 27 मार्च 2021

कविता : "खत्म हो गए है एग्जाम मेरे "

" खत्म हो गए है एग्जाम मेरे "

खत्म हो गए है एग्जाम मेरे ,

सोचता हूँ क्या करुँगा सवेरे | 

खोलूँगा अब कहानियों का भण्डार ,

याद करुँगा  अब घर द्वार | 

चुट -कुले  कहानियाँ  जो मन में याद आए ,

जो अभी तक नहीं किया वो करुँगा | 

सिखुगा निखारूगा अब अपना  पॉवर ,

उपयोग करुँगा  अपना घर एक ऑवर | 

ज्ञान का भण्डार लेकर जाऊगा  सवेरे ,

एग्जाम खत्म तो ट्वेल्थ आना | 

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 11th , अपना घर

शुक्रवार, 26 मार्च 2021

कविता : " जिंदगी की ये मोड़ कहाँ आ गई "

  " जिंदगी की ये मोड़ कहाँ आ गई "

जिंदगी की ये मोड़ कहाँ आ गई ,

दसवीं से आगे जाने में बीत गई | 

क्या पढू क्या न पढू तय करने मे समय बीत  गया ,

बाकी सभी लोगो का टेंथ एलेन्थ और ट्वेल्व्थ आ गया | 

और दसमी  पड़ते -पड़ते बोर हो गया   ,

पढू तो सब याद रहे मौज मस्ती में भूल जाऊ | 

अपना दुख किसी को न कह पाऊ ,

 पेपर हाथ में लू तो सब भूल जाऊ | 

पर नंबर न जाने कहाँ खो जाए ,

अब तो बोर्ड की घडी आ गई | 

और कोरोना बढ़ने की खबर आ गई ,

कवि : समीर कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर

 

बुधवार, 24 मार्च 2021

कविता : " ये दसमी में क्या खाश है "

 " ये दसमी में क्या खाश है "

 ये दसमी में क्या  है खाश  ,

किस चीज की लगये बैठे है  आश | 

खेलने जाओ तो दसमी सुनने को मिलता  ,

  खाना खाने जाओ तो दसमी सुनने को मिलता | 

ना चैन से सोने को मिलता   ,

ना ही कही आराम से बैठने को | 

लगता है जैसे हिमालय का  दीवार खड़ा हो ,

जिसे तोडना बहुत जरूरी हो | 

सिर से लेकर आसमा तक ,

हर जगह दसमी की चर्चा खड़ी हो  | 

मनो कुछ पालो  खुशिया छिन गई ,

जिंदगी एक किताबी कीड़ा बन गया |

 ये दसमी में क्या खाश है ,

किस चीज की लगये बैठे है  आश  | 

कवि : सार्थक कुमार ,कक्षा : 10th , अपना घर 

 

 

मंगलवार, 23 मार्च 2021

कविता : " समाप्त हो रहा है कोरोना महामारी "

 " समाप्त हो रहा है कोरोना महामारी "

 समाप्त हो  रहा है कोरोना महामारी ,

फिर शुरू होगा  स्कूल हमारा  | 

काश कोरोना न होता ,

सभी लोग नींद भर सोता | 

फिर  से तहलका मचा रहा है ,

समाप्त हो रहा कोरोना महामारी | 

घर के  बाहर जाना शुरू  हुआ हमारा ,

किसी को छोड़ रहा किसी को मिचोड रहा | 

कोई बच रहा कोई बचा रहा ,

 कोरोना धीरे -धीरे बढ़ते ही जा रहा है | 

कवि : अवधेश  कुमार , कक्षा : 7th , अपना  घर

सोमवार, 22 मार्च 2021

कविता : " जीने में क्या बुराई है "

 " जीने में क्या बुराई है "

जीने में क्या बुराई है,

चाहे हम जैसे जिए | 

पर  जीना तो हमें  है ,

चाहे ख़ुशी से  जिए | 

 और  चाहे दुखी होकर  जिए ,

जीना तो हर हालत में है | 

ऐसे जीने में  क्या फायदा ,

जिसमे कोई  मजा ही नहीं | 

जिओ तुम खुल के जिओ ,

बिना डर  के बिना शर्म के | 

 जिओतो खुलकर जिओ ,

कवी: नितीश कुमार  , कक्षा :10th , अपना घर 


 

 

रविवार, 21 मार्च 2021

कविता : " एग्जाम के दिन "

" एग्जाम के दिन "

एग्जाम के दिन ,

 कहते है गिन -गिन |

सोमवार ,मंगलवार ,बुधवार ,

खाना पीना जीना दुश्वार | 

रात को जागो ,

सुबह उठो सवा चार | 

कॉपी पलट कर हो गए बोर ,

पसंद नहीं है पढ़ने के शोर | 

जपते है सब भगवान् की धुन ,

एग्जाम के दिन | 

कहते है गिन -गिन  ,

कवि : अखिलेश कुमार  , कक्षा :10th , अपना  घर

शनिवार, 20 मार्च 2021

कविता :" जब -जब मै अकेला रहता हूँ "

                                                   " जब -जब मै  अकेला रहता हूँ  "

जब -जब मै  अकेला रहता हूँ ,

घर की याद  मुझको  आता है | 

मम्मी मुझको अपनी गोद  में बैठाती ,

जब मै उसके पास जाती | 

इतना छोटा मेरा  भाई ,

 नहीं  करना था ईटो की पथाई | 

जब तेरा उम्र है करने की पढ़ाई ,

एक मेरी  बहन | 

जिसकी उम्र है खेल -कूद  की ,

नहीं कर पाती है पढ़ाई |


कवि : पिंटू कुमार , कक्षा :5th , अपना घर 

 

शुक्रवार, 19 मार्च 2021

कविता : बदला नहीं बचपन

 " बदला नहीं  बचपन " 

 बदल रही है वो सुनशान सी गालियाँ ,

 बदल रही है वो पेड़ों की कलियाँ | 

बदल रहा है अब वो अवतार ,

बदल रहा है अब घर और द्वार | 

बदला नहीं है बस वो मुस्कुराहटें,

बचपन की मीठी - मीठी फुसफुसाहटें | 

बदल  चुकी है चप्पल के नंबर,

बदल चुका है वस्त्र और अम्बर | 

बदल गया है गलों का वो काजल,

बदल  गया है माथे का वो चन्दन | 

बदला नहीं तो वो मन का दुलार,

बचपन से अभी तक का ढेरों प्यार | 

 

बदल रही है हर साल वो किताबें,

बदल रही है वो धीरे चलती कदमें | 

बदल रहे है दोस्त और साथी,

बदल रहे है पेन और कॉपी | 

बदला नहीं वो बस जुनूनी पढाई,

भूला नहीं वो बचपन की लड़ाई | 

 कवि ; प्रांजुल कुमार , कक्षा : 11th ,  अपना घर

 

बुधवार, 17 मार्च 2021

कविता:- बचपन

  "बचपन"
बदल रहीं हैं वो सुनसान गलियाँ।
बदल रही है पेड़ों की कलियाँ।।
बदल रही है अब अवतार।
बदल रहा है घर और द्वार।।
बदला नहीं है बस वो मुस्कुराहटे।
बचपन की मीठी-मीठी फुसफुसाहटे।।
बदल चुकीं हैं चप्पल के नम्बर।
बदल चुका है वस्त्र और अम्बर।।
बदल गया है गालो का काजल।
बदल गया है माथे का चन्दन।।
बदला नहीं तो वो माँ का दुलार।
बचपन से  अभी तक का प्यार।।
बदल रही है हर साल टेक्स्ट बुक के पन्ने।
बदल गए वो धीरे कदमें।।
बदल रहे दोस्त और साथी।
बदल रहें अब पेन और कॉपी।।
बदला नहीं वो बस जुनूनी पढ़ाई।
बदला नहीं वो बचपन की लड़ाई।।
   कविः -प्रांजुल कुमार ,कक्षा -11th ,अपना घर ,कानपुर ,

कवि परिचय :- यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और कानपुर के अपना घर नामक संस्था में रहकर अपनी पढाई कर रहे हैं।  प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है।  प्रांजुल पढ़कर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं और फिर इंजीनियर बनकर समाज के अच्छे कामों में हाथ बटाना चाहता हैं। प्रांजुल को बच्चों को पढ़ाना बहुत अच्छा लगता है।

मंगलवार, 16 मार्च 2021

कविता:- इस कोरोना के समय में

"इस कोरोना के समय में"
कमजोर न थे कोरोना के समय।
कई लोग बेघर हो गए।।
इस भयवाह कोरोना के समय।
  जरुरत न थी किसी के आगे हाथ फ़ैलाने की।।
जरुरत न थी भीख मांगने की।
जरुरत थी तो बस इक दूसरे के सहारे की।।
जरुरत थी तो बस इस कोरोना को हारने की।
कमजोर न थे हम कोरोना के समय।।
कइयों की नोकरिया छीन गयी।
कइयों के रोजगार ठप हो गए।। 
इस कोरोना के समय में। 
 
कविः- समीर कुमार, कक्षा - 10th, अपना घर, कानपुर,
कवि परिचय:- ये समीर कुमार है। उत्तर प्रदेश इलाहाबाद के रहने वाले है। इन्हे संगीत में बहुत रूचि है। ये बड़े  गायक बनाना चाहते है। ये कविता भी अच्छी लिखते है।

 

सोमवार, 15 मार्च 2021

कविता:- किसने बनाई ये बिगड़ी हुई संसार

 "किसने बनाई ये बिगड़ी हुई संसार"
किसने बनाई ये बिगड़ी हुई संसार।
जहाँ अमीर प्रजातियाँ बनी हुए हैं खूंखार।।
हर पद का मजा लेते हैं ये भरमार।
किसने बनाई है ये बिगड़ी हुई संसार।।
लूटपाट भ्रष्टाचार फैलाने में आगे रहती हैं।
गरीबों के उम्मीदों पर करते हैं प्रहार।।
कभी कभी मैं सोचाता हूँ।
किसने बनाई ये बिगड़ी ये संसार।।
बराबरी का संसार बनाने में डरते है।
क्योंकि इनको करना है गरीबों पर राज।।
किसने बनाई ये बिगड़ी हुई संसार। 
    कविः - विक्रम कुमार ,कक्षा -10th ,अपना घर, कानपुर,
 

कवि परिचय : यह कविता विक्रम के द्वारा लिखी गई है।  विक्रम बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं। विक्रम को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है। और वह अपनी प्यारी -प्यारी कविताओं एकत्रित कर उन्हें एक किताब में प्रकाशित करवाना चाहता है।  विक्रम एक रेलवे डिपार्टमेंट में काम करना चाहते हैं।
 
 

गुरुवार, 11 मार्च 2021

कविता:- आसमान में तारे

"आसमान में तारे"
आसमान में तारे।
 दिखते हैं बहुत सारे।।
कुछ टिमटिमाते हुए।
कुछ चमकते हुए।।
उन अंधेरी रातों में।
जुगनू की तरह।।
आसमान में तारे।
दिखते हैं बहुत सारे।।
कविः- नवलेश कुमार, कक्षा- 6th, अपना घर, कानपुर,

बुधवार, 10 मार्च 2021

कविता:- पता नही वो समय कब आयेगा

"पता नही वो समय कब आयेगा"
पता नहीं वो समय कब आयेगा।
जब हिंदुस्तान में अपना नाम छायेगा।।
हर सपनो में राज हमारा होगा।
हर साल कुछ नया होगा।।
पता नहीं वो समय कब आयेगा।
जब झण्डा गरीबों के हाथ में लहराएगा।।
हर चहरे पर कब चमक आयेगा।
कब किसानों का दुनियाँ कहलायेगा।।
पता नही वो समय कब आयेगा।
जब हिंदुस्तान में अपना नाम छायेगा।। 
 कविः- कुलदीप कुमार, कक्षा -9th, अपना घर, कानपुर,
 

कवि परिचय : यह हैं कुलदीप कुमार जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं।  कुलदीप पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं।  कुलदीप एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं।  कुलदीप अपनी कविताओं से लोगों को जागरूक करने की कोशिश करते हैं।  इनको  क्रिकेट खेलना पसंद है।
 

मंगलवार, 9 मार्च 2021

कविता:- पवन

"पवन"
लहर-लहर हर दोपहर।
चलती हैं तू कुछ ऐसे।।
जंगल में मृग मोहिनी।
 चलती हो जैसे।।
कभी पसर-पसर कर।
तो कभी पतली डगर पर।।
चलती हो मटक-मटक कर।
झीलों में लहर उठती हो जैसे।।
कभी मंध-मंध।
तो कभी मन मोहकर चलती है।।
तो कभी फल पत्तियों को। 
झकझोर कर चलती है।।
चलने की आवाज आती है सर-सर।
ठंडक पहुँचाती है सभी को हर पल।।
कभी धीरे और आराम से चलती है।
कभी हमरे बालों को सहलाकर चलती है।।
पर चलती है ऐसे एक मुसाफिर हो जैसे। 
  कविः -देवराज कुमार, कक्षा -10th , अपना घर , कानपुर ,
 

कवि परिचय : यह हैं देवराज जो की बिहार के रहने वाले हैं। और अपना घर में रहकर  ये पढ़ाई कर रहे हैं।  देवराज पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं। | देवराज डांस बहुत अच्छा कर लेते हैं। और साथ ही साथ  अच्छी कवितायेँ भी लिख लेते हैं।
 
 

रविवार, 7 मार्च 2021

कविता:- होली आयी होली आयी

"होली आयी होली आयी"
होली आयी होली आयी।
अपने संग रंग भर लायी।। 
लाल, गुलाबी, हरा और पीला।
लगाएंगे रंग भर कर पतीला।।
गलियों में दौड़ा दौड़कर।
नालियों में पटक पटकर।।
होली में रंग लगाना है। 
जाकर दोस्तों के घर पर।।
बैठ गुजिया खाना है।
एक दूसरे से गले मिलकर।।
रंग खूब लगाना है।
होली आयी होली आयी।।
अपने संग रंग भर लायी। 
कवि:- जमुना कुमार, कक्षा- 12th, अपना घर, कानपुर,
 

शनिवार, 6 मार्च 2021

कविता:- छोटी सी चिड़िया

"छोटी सी चिड़िया"
छोटी सी चिड़िया।
बहुत कुछ कह जाती है।।
अपनी आवाजों से वो।
सबको मोह लेती है।।
छोटी सी चिड़िया।
न जाने क्या कह जाती है।।
यहाँ-वहाँ घूमती है।
डाल-डाल पर जाकर।।
सबको बुलाती है।
अपने गीत गुनगुनाकर।।
देख ली दुनिया घूम घूमकर।
 छोटी सी चिड़िया।।
 क्या-क्या कह जाती है।
छोटी सी चिड़िया।।
जब आंगन में आती है।
चुन चुनकर दाने।।
बैठ डाल पर खाती है।
छोटी सी चिड़िया।।
 क्या-क्या कह जाती है।
अपने भाव और विचारों को।।
सबको वो बता जाती है।
छोटी सी चिड़िया।।
जाने क्या-क्या कह जाती है।
  कविः -शनि कुमार ,कक्षा -9th ,अपना घर,कानपुर,
कवि परिचय :- ये शनि कुमार है। जो बिहार के रहने वाले है। इस समय अपना घर हॉस्टल में रहकर शिक्षा प्राप्त कर रहे है।  ये पढ़ने में बहुत अच्छे है।ये पढ़ लिखकर अपने परिवार और समाज के लिए काम करना चाहते है। इनको कविता लिखना पसन्द है।
 
 

शुक्रवार, 5 मार्च 2021

When I closed my eyes

"poem" 
  When I closed my eyes.
I remember my all mistakes
which I have  done in past
then I open my eyes.
I think this was  my luck.
Which gave me another a chance
and don't I want to go there change out.
 
Poet Name --Niranjan Kumar, Class-4th, Apna Ghar, Kanpur

बुधवार, 3 मार्च 2021

कविता:-सुहाने इस मौसम की घटाओ में

"सुहाने इस मौसम की घटाओ में" 
सुहाने इस मौसम की घटाओं में।
 कुछ तो ऐसी बात है इस मौसम में।।
जो हर किसी को भा जाता है।
कभी काली घटा जो घिर आ जाता है।।
किसानो के चहरे खुशी से भर जाता है।
क्योकि उन्हें अपने खेतों की याद आता है।।
खेत में बुआई कर खुशिओं की चाह आती है।
बारिश के कारण बच्चो की खुशियाँ खो जाती है।।
हर तरफ हर गली में पानी भर आती है।
चलना सभी को पड़ता है सम्भल संभलकर।।
सुहाने इस मौसम के घटाओं में।
कुछ तो बात है इस सुहाने मौसम में।।
 कविः- समीर कुमार, कक्षा - 10th, अपना घर, कानपुर,
कवि परिचय:- ये समीर कुमार है। उत्तर प्रदेश इलाहाबाद के रहने वाले है। इन्हे संगीत में बहुत रूचि है। ये बड़े  गायक बनाना चाहते है। ये कविता भी अच्छी लिखते है।
 
 
 
 
 
 
 

मंगलवार, 2 मार्च 2021

कविता:- काश मै उड़ता फिरुँ आसमान में

"काश मै उड़ता फिरुँ आसमान में"
 काश मै उड़ता फिरुँ आसमान में। 
घूमूँ घर और बागवान में।।
मीठे मीठे फल मै खाऊँ।
अपने दोस्त संग मैं जाऊँ।। 
पंख अपने रोज धोकर।
रोज सज सवर कर।।
दुनियाँ की सैर कर आऊँ। 
काश मै उड़ता फिरुँ आसमान में।।
घूमूँ घर बागवान में। 
कविः- कुलदीप कुमार, कक्षा -9th, अपना घर, कानपुर,
 

कवि परिचय : यह हैं कुलदीप कुमार जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं।  कुलदीप पढ़ाई में बहुत अच्छे हैं।  कुलदीप एक नेवी ऑफिसर बनना चाहते हैं।  कुलदीप अपनी कविताओं से लोगों को जागरूक करने की कोशिश करते हैं।  इनको  क्रिकेट खेलना पसंद है।