" जीने में क्या बुराई है "
जीने में क्या बुराई है,
चाहे हम जैसे जिए |
पर जीना तो हमें है ,
चाहे ख़ुशी से जिए |
और चाहे दुखी होकर जिए ,
जीना तो हर हालत में है |
ऐसे जीने में क्या फायदा ,
जिसमे कोई मजा ही नहीं |
जिओ तुम खुल के जिओ ,
बिना डर के बिना शर्म के |
जिओतो खुलकर जिओ ,
कवी: नितीश कुमार , कक्षा :10th , अपना घर
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