" रंग की भरमार में "
रंगो की भरमार में ,
होली की त्योहर में |
हर व्यक्ति को रंग है लगाना ,
बचने वालो को न छोड़ना |
अबीर उड़े गुलाल उड़े और जाकर सब पर पड़े ,
बच्चे पिचकारी में रंग भरे |
बाकी लोगो को रंगने के लिए तंग करे ,
होली में हर को मिलकर हुड डंग करे |
जो होली न खेलता हो उसका भी मन करे ,
कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर
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