बुधवार, 31 मार्च 2021

कविता : " रंग की भरमार में "

 " रंग की भरमार में "

रंगो  की भरमार में ,

होली  की त्योहर  में | 

हर व्यक्ति को रंग है लगाना ,

बचने वालो को न  छोड़ना | 

अबीर उड़े गुलाल उड़े और जाकर सब पर पड़े ,

बच्चे पिचकारी में रंग भरे |

बाकी लोगो को रंगने के  लिए तंग करे ,

होली में हर को  मिलकर हुड  डंग करे |

जो होली न खेलता हो उसका भी मन करे ,

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर

 

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