"इस कोरोना के समय में"
कमजोर न थे कोरोना के समय।
कई लोग बेघर हो गए।।
इस भयवाह कोरोना के समय।
जरुरत न थी किसी के आगे हाथ फ़ैलाने की।।
जरुरत न थी भीख मांगने की।
जरुरत थी तो बस इक दूसरे के सहारे की।।
जरुरत थी तो बस इस कोरोना को हारने की।
कमजोर न थे हम कोरोना के समय।।
कइयों की नोकरिया छीन गयी।
कइयों के रोजगार ठप हो गए।।
इस कोरोना के समय में।
कविः- समीर कुमार, कक्षा - 10th, अपना घर, कानपुर,
कवि
परिचय:- ये समीर कुमार है। उत्तर प्रदेश इलाहाबाद के रहने वाले है। इन्हे
संगीत में बहुत रूचि है। ये बड़े गायक बनाना चाहते है। ये कविता भी अच्छी
लिखते है।
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