"सुहाने इस मौसम की घटाओ में"
सुहाने इस मौसम की घटाओं में।
कुछ तो ऐसी बात है इस मौसम में।।
जो हर किसी को भा जाता है।
कभी काली घटा जो घिर आ जाता है।।
किसानो के चहरे खुशी से भर जाता है।
क्योकि उन्हें अपने खेतों की याद आता है।।
खेत में बुआई कर खुशिओं की चाह आती है।
बारिश के कारण बच्चो की खुशियाँ खो जाती है।।
हर तरफ हर गली में पानी भर आती है।
चलना सभी को पड़ता है सम्भल संभलकर।।
सुहाने इस मौसम के घटाओं में।
कुछ तो बात है इस सुहाने मौसम में।।
कविः- समीर कुमार, कक्षा - 10th, अपना घर, कानपुर,
कवि
परिचय:- ये समीर कुमार है। उत्तर प्रदेश इलाहाबाद के रहने वाले है। इन्हे
संगीत में बहुत रूचि है। ये बड़े गायक बनाना चाहते है। ये कविता भी अच्छी
लिखते है।
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