गुरुवार, 20 अगस्त 2020

कविता : काले बादल

" काले बादल "

 काले - काले बादल आए,

 बच्चों को ये खूब डराए | 

मन में बैठकर मौज उड़ाए,

सब बच्चे शोर मचाए | 

काले - काले बादल आए,

यहाँ - वहाँ धूम मचाए | 

बच्चे देख इसे खूब चिल्लाए,

मन ही मन खूब मुस्कुराए | 

काले - काले बादल आए,

 बच्चों को ये खूब डराए | 

कवि : सनी कुमार , कक्षा : 9h , अपना घर


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