" कुछ करना है तुम्हें "
हर कदम सतर्क है रहना,
कहीं भी कुछ हो सकता है |
जिंदगी मुड़ाव सकताहै ,
तुम्हारी जो चाहत है,
उसमें रूकावट आ सकती है
जितनी भी रुकावटें हो ,
लड़ना कोई भी मुश्किल से न डरना,
क्योंकि तुम्हें है कुछ करना | |
कवि : विक्रम कुमार , : कक्षा 10th , अपना घर
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