" कोरोना का कहर "
कोरोना का कहर ,
रहा नहीं ठहर |
उसका डर हर किसी में ,
दम नहीं किसी दवा में,
जो रोक सके हवा में |
दिन पर दिन बढ़ता जा रहा,
पारा सब का चढ़ता जा रहा |
कुछ लड़कर जित गए,
कुछ का समय बीत गए |
सब को लग रहा जहर |
कोरोना का कहर ,
रहा नहीं ठहर |
कवि : अखिलेश कुमार ,कक्षा : 10th , अपना घर
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