रविवार, 30 अगस्त 2020

कविता : नेचर के साथ रहने में मजा है

"नेचर के साथ रहने में मजा है "

नेचर के साथ रहने में ,

कुछ और तो मजा है | 

वो पेड़ो के नीचे बैढना ,

ख़ुशी के साथ गुजरना | 

वो सब कुछ कितना ,

सुकून सा मिलता है | 

धूप से बेचैन होकर भी ,

पेड़ो की छाँव में खुशी और | 

खुशहाल सा मिलता है ,

नेचर के साथ रहने में | 

कुछ और तो मजा है ,

 कवि :सार्थक कुमार ,कक्षा :10th , अपना घर

 

कविता : ये मुझे क्या हो गया

"ये मुझे क्या हो गया "

 ये मुझे क्या हो गया ,

और कहाँ खो गया | 

पढ़ते -पढ़ते एक रात को ,

मैं क्यों सो गया | 

क्यों वो नींद जरूरी थी ,

क्या मुझे सो  जाना चाहिए था | 

इन्ही बेपनाह सवालो  में खो गया,

एक बच्चा जब दसवी फेल | 

हो गया तो  उसे यही सवाल ,

भूतो के तरह डरते है | 

उसे चैन की नींद नही  सोने देते हैं ,

कवि :समीर कुमार ,कक्षा :10th , अपना घर

रविवार, 23 अगस्त 2020

कविता : कुछ करना है तुम्हें

" कुछ करना है तुम्हें "

हर कदम  सतर्क  है रहना,

कहीं भी कुछ हो सकता है | 

जिंदगी  मुड़ाव सकताहै ,

तुम्हारी जो चाहत है,

उसमें रूकावट  आ सकती है

जितनी भी रुकावटें हो ,

लड़ना कोई भी मुश्किल से न डरना,

क्योंकि तुम्हें है  कुछ करना | | 

कवि : विक्रम कुमार , : कक्षा 10th ,  अपना घर

शनिवार, 22 अगस्त 2020

कविता : रक्षा बंधन

" रक्षा बंधन "

रक्षा बंधन  का त्यौहार है आया,

बहनों ने  भाइयों से खुशियां जताया | 

बहनों का त्यौहार  है आया,

 रक्षाबंधन का त्यौहार  का आया |

भाइयों ने बहनों से राखी है बंधवाया,

 रक्षा बंधन का त्यौहार है आया | 

कोरोना न होता तो राखी बँधवा लेते,

 पिछले वर्ष जैसे त्यौहार को मना लेते | 

कोरोना का क्या  कहना है,

भाई को राखी बाँध  दो न बहना,

रक्षा बंधन का त्यौहार है बहना | 

कवि : अजय कुमार , कक्षा : 6th ,  अपना घर

शुक्रवार, 21 अगस्त 2020

कविता : मेरा देश बदल रहा है

" मेरा देश बदल रहा है "

 मेरा देश बदल रहा है,

हर एक  लोगों के चेहरे पर 

खुशियों की लहर दौड़ रही है | 

हर खेतों में खलियानों में

फसल यूँ ही लहलहा रहे हैं,

हर एक आदमी जिनसे  संभल रहा है | 

मेरा देश बदल रहा है | 

हर एक गांव अब बदल रहा है,

कड़ी मेहनत अब चल रही है | 

एक बीज बोने के लिए,

लाख संघर्ष कर रहे हैं 

अपनी मंजिल पाने के लिए | 

गिर कर भी संभल रहा है,

मेरा देश बदल रहा है | 


कवि : सुल्तान कुमार , कक्षा : 6th , अपना घर


गुरुवार, 20 अगस्त 2020

कविता : काले बादल

" काले बादल "

 काले - काले बादल आए,

 बच्चों को ये खूब डराए | 

मन में बैठकर मौज उड़ाए,

सब बच्चे शोर मचाए | 

काले - काले बादल आए,

यहाँ - वहाँ धूम मचाए | 

बच्चे देख इसे खूब चिल्लाए,

मन ही मन खूब मुस्कुराए | 

काले - काले बादल आए,

 बच्चों को ये खूब डराए | 

कवि : सनी कुमार , कक्षा : 9h , अपना घर


बुधवार, 19 अगस्त 2020

कविता : आसमान को ढूँढ़ते चले

" आसमान को ढूँढ़ते चले "

आसमान को ढूँढ़ते चले,

मंजिलों को ढूँढ़ते चले | 

थक गए हैं पैर फिर भी,

हम तो टुकड़ों में पलते चले | 

ढूँढा अपनी मंज़िल को आसमां पर भी,

उम्मीद तो मुझमें बची है अभी | 

चाहे जितनी दूर भले,

हम तो मंजिल की तलाश में यूँ चले | 

 कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 11th , अपना घर

मंगलवार, 18 अगस्त 2020

कविता : बादल

" बादल "

बादल भी कुछ कहना चाहता है ,

 अपने बातो को बताना चाहता है| 

धुआँ  -धूल से हो रहे परेशान ,

बनकर ज़हरीली बूंद बरस रहे है | 

नहीं समझ रहे इंसान ,

कोई -लकड़ी तो कोयला | 

कोई -डीजल तो कोई पेट्रोल जला रहे है | 

नहीं रख रहे पर्यावरण का ख्याल ,

एक दिन होगा सभी का बुरा हाल | |

कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 10 , अपना घर 

कविता : हम सलाम करते है

" हम सलाम करते है "

हम सलाम करते है ,

यह आजादी को | 

हम सलाम करते है,

उन वीरों को | 

अपने देश की आजादी में ,

खुद को कुर्बान कर दिया | 

वह खून का  हर कतरा -कतरा ,

को हम सलाम करते है |    

इस पंद्रह अगस्त की आजादी को ,

हम यह  यैलान करते है | 

सभी वीरो को हम सलाम करते है | 

 

कवि : सनी कुमार ,कक्षा : 6th , अपना घर

 

 

 

सोमवार, 17 अगस्त 2020

कविता : आजाद हुए है हम वर्षो पहले "

"आज़ाद हुए है हम वर्षो पहले "

 आजाद हुए है हम वर्षो पहले ,

आओ याद शहीदों को हम करले | 

कुर्बानी हुए इस मिटटी के लाले ,

आओ नमन करे  उनको हम सारे | 

दब गए इस देश के जवान  ,

सीमा पर आज भी खड़े हमारे रखवाले | 

गूंज रही है चारो ओर जय -हिन्द -जय हिन्द ,

क्योकि आज है हमारा अपना दिन | 

आजाद हुए है हम वर्षो पहले ,

आओ याद उन शहीदों को हम करले | 

कवि :कुलदीप कुमार , कक्षा 9th , अपना घर


कविता : हौसलों को मत करो चूर- चूर

"हौसलों को  मत करो चूर- चूर "

हौसलों  को मत करो चूर -चूर ,

कई लोगों की दुआ है तुम पर | 

उसे ठुकराने की कोशिश मत करो ,

बड़े आदमी नहीं बने तो क्या हुआ | 

अपने  आत्मविश्वास को जगाए रखो ,

हौसलों को कोई तोड़ नहीं पाएगा यह कहकर  |

बाजुओ में दम  है तो कठनाइयो  से लड़कर दिखायो ,

हौसलों को चूर -चूर मत करो | 

कई लोगो की दुआ है तुम  पर ,

उसे ठुकराने की कोशिश मत  करो | 

कवि : अमित कुमार ,कक्षा - 6th ,अपना घर

 

 

शुक्रवार, 14 अगस्त 2020

कविता : कोरोना का कहर

" कोरोना का कहर "

कोरोना का कहर ,

रहा नहीं ठहर | 

उसका डर हर किसी में ,

दम नहीं किसी दवा में,

जो रोक सके हवा में |

 दिन पर दिन बढ़ता जा रहा, 

पारा सब का चढ़ता जा रहा | 

कुछ लड़कर जित गए,

कुछ का समय बीत  गए |

सब को लग रहा जहर | 

कोरोना का कहर ,

रहा नहीं ठहर |

 कवि : अखिलेश कुमार ,कक्षा : 10th , अपना घर 

 

 

गुरुवार, 13 अगस्त 2020

कविता : दुनियाँ में शांति

 " दुनियाँ में शांति "

 दुनियाँ में शांति है हमको लाना,

जग में रोशनी  है फैलाना | 

हर पल को हमको है सजाना,

समय की कीमत सबको है  समझना | 

चाह है सब कुछ पाने का ,

ढूँढू  दुनियाँ हर जमाने का | 

भविष्य में नाम अपना है बनाना ,

सब कुछ कर के है दिखाना | 

 कवि :कुलदीप कुमार,  कक्षा : 9th , अपना घर 

बुधवार, 12 अगस्त 2020

कविता : उड़ चले

" उड़ चले "

हर वन में हर उपवन मे,

पक्षियों की है जोरों से शोर |

उड़ती -उड़ती धरती की हर कोने में,

नई संदेशा  ला रही है | 

गगन की उचाई को छू जा रही है | 

अपनी फुर्तीली उड़ान से,

 पूरी दुनिया  घूमना चाह रही है |

इसी तरह अपनी सफर वह पूरी करती ,

अपनी नई दुनिया की खोज में ,

उड़ चली अपनी पथ की ओर |

 

कवि  :पिंटू कुमार , :कक्षा  5th , अपना घर 

मंगलवार, 11 अगस्त 2020

कविता : कोरोना से लड़ाई

 

" कोरोना से लड़ाई "

सारे डॉक्टर पस्त हो गए है ,

सारी दवाइयाँ  नाकाम हो गई है | 

सफल नहीं हो पा रहा कोई ,

अपनी दवाइयों  को लेकर |  

प्राकृतिक दवाइयाोंको लेने पर ,

हो रहे मजबूर  ऐसी  क्या वजह है | 

जो हम सब इतना संघर्ष कर रहे है ,

दिन -रात  लगातार | 

दवाइयों की खोज में लगे रहे है,

वजह सिर्फ है मानव जाति  को है बचाना | 

इस धरती पर शान्ति  फिर से लाना ,

हर एक चेहरे पर मुस्कान लौटना है | 

 कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 10th ,  अपना घर

 

 

सोमवार, 10 अगस्त 2020

कविता : लक्ष्य

" लक्ष्य "

न मुझे मांग सकेंगे ,

न मुझे कोई  छीन सकेंगे | 

बस मुझे पाने के लिए लाख,

कोशिशों कर सकेंगे | 

बहुत मुश्किल से मुझे चुना ,

फिर हिसाब से उतने पैसे गिना है | 

तुम्हारे बिना मै कुछ कह नहीं सकते ,

शायद मै कभी चैन से | 

जी नहीं सकते।,

कवि : देवराज , कक्षा : 10th , अपना घर



रविवार, 9 अगस्त 2020

कविता : बादल पानी बरसा दो

 

" बादल पानी बरसा दो "

 बादल -बादल पानी तो बरसा दो,

सूखे हुए पौधों को पानी तो पिला दो  |

बादल -बादल पानी तो बरसा दो,

चिड़िया को  पानी तो पिला दो |

 गर्मी से तुम राहत दिला दो,

सूखे हुए पौधे को पानी तो पिला दो |

बादल -बादल  पानी तो बरसा दो,

अपना कहर तुम सबको दिखा दो,

बादल -बादल  पानी तो बरसा दो | 

सूखे पौधे को तुम खिला दो,

 बादल -बादल तो बरसा दो | 


कवि : अजय कुमार , कक्षा : 6th , अपना घर

शुक्रवार, 7 अगस्त 2020

कविता : शिव भक्त

" शिव भक्त "

 बम बम भोले की गूँज रही है 

चारो ओर शिव के भक्त डोल रहे हैं | 

चढ़ा है शिव का नशा इन पर,

बोल रहे रहे है बम चारो धाम घूमकर | 

सावन के महीने में भांग बाँट रहे,

भांग पीकर शिव का गीत गा रहे | 

 होश हवाब खो बैठे हैं सारे भक्त,

दौड़ रहा है उनके शरीर में शिव का रक्त | 

 केवल बम -बम भोले बोल  रहे हैं,

सारे भक्त मस्ती डोल रहे हैं | 

 

कवि : रविकिशन , कक्षा : 11 , अपना घर

 

 

 

गुरुवार, 6 अगस्त 2020

कविता : पर्यावरण का ख्याल

" पर्यावरण का ख्याल "

बारिश भी कुछ कहना चाहता है,
अपने बातों को बताना चाहता है |
छुआ - छूत से हो रहे परेशान,
बनकर जहरीले बूँदें बरस रहे है |
पर नहीं समझ रहे हैं इंसान,
कोई लकड़ी  तो कोई कोयला |
कोई डीज़ल तो कोई पेट्रोल जला है,
नहीं रख रहे पर्यावरण का ख्याल |
बारिश भी कुछ कहना चाहता है,
अपने बातों को बताना चाहता है |

कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर

बुधवार, 5 अगस्त 2020

कविता : होंगे सपने पूरे


" होंगे सपने पूरे "

कृषक जैसा संघर्ष जो करता,
मेहनत का मैदान नहीं छोड़ता |
जब तक सफल वह हो न जाए,
नींद - चैन को त्यागता जाए |
ये रास्ता जिस ओर को मुड़ता,
हमेशा सफलता उधर ही चलता |
कामयाबी की सोच हरियाली लाती,
मेघा जैसी खुशियाँ छा जाती |
देख भूमि पर झूमती हरियाली को,
जमीं की मिटटी को उठाकर  देखो |
 तब होंगें तुम्हारे सपने पूरे,
नहीं बैठोगे तुम कभी अधूरे |

कवि : पिंटू कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर





मंगलवार, 4 अगस्त 2020

कविता : शहर है प्यारा

" शहर है प्यारा "

हम सब मिलकर ये सपथ जताएँ ,
आओ मिलकर कानपुर को स्वच्छ बनाएँ |
ऐसे पेड़ पौधे इस शहर में लगाएँ,
रोडवेज़ पर कूड़ा न फैलाएँ | 
पॉलीथिन पर प्रतिबन्ध लगाए,
पेपर बैग का उत्पादन बाधाएँ |
जगह जगह जागरूकता अभियान चलाएँ,
हर  बच्चों को शिक्षा दिलाएं |
शहर में ऐसे दीप जलाएँ ,
हर वर्ष शुभ मंगल कार्य करवाएँ |
तभी जगमाएगा ये शहर दुबारा,
अपना शहर है सबसे प्यारा |

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 11th , अपना घर

सोमवार, 3 अगस्त 2020

कविता : हाशिल करनी है ऊँचाइयों को

" हाशिल करनी है ऊँचाइयों को "

आओ चले कुछ सोचे,
हाथ पर हाथ रखे न बैठे |
जीवन मैं तुम्हारे पास बहुत से हैं कार्य,
नहीं करना है तुम्हें अभी आराम |
जिस दिन जगे उसी दिन होगी शुरुआत,
हर दिन अपना कार्य करते रहना |
एक दिन जरूर प्रसंसा होगी,
वह दिन तेरे लिए खास होगा |
मत बैठने देना अपने अंदर के ज्वाला को ,
मेहनत करना है तुम्हें जी तोड़ कर तुम्हे,
हाशिल  करना है तुम्हे उन ऊचाइयों को| ,
जो इंतज़ार कर रही तेरे आने का |
 कर दिखा अब अपने अंदर के आत्मविश्वास को,
बता दे मैं कितना आतुर हूँ कुछ करने को |

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर

शनिवार, 1 अगस्त 2020

कविता : रक्षाबंधन

" रक्षाबंधन "

सोचते सोचते  मुझे याद आया,
एक  बहुत अच्छी सी बात |
रक्षाबंधन है बहुत पास |
लेकिन कोरोना भी बैठा  है पास,
क्या लगाए बैठा रहूँगा मैं आस |
  कैसे करूँगा बहन को मैं खुश,
बिना राखी के हो जाएगी दुःख |
न मिठाई और न ही है राखी,
 आज नाखुश हैं सारे साथी |
रक्षा तो करेंगें अपनी बहनों का,
क्योंकि रिश्ता है हमारे जन्मों का |
पहले कोरोना से उसे बचाएँगे,
फिर मिलकर रक्षाबंधन मनाएगें |

कवि : गोविंदा कुमार , कक्षा : 4th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता गोविंदा के   द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | गोविंदा ने यह कविता रक्षाबंधन पर लिखी है की कैसे कोरोना से छुटकारा पाकर रक्षाबंधन मनाएगे | गोविंदा को कवितायेँ  लिखना अच्छा लगता है |