"कल रात जब मै सो रहा था"
कल रात जब मै सो रहा था।
सपनो की दुनियाँ में खो रहा था।।
थोड़ी देर बाद मैंने अपना सर उठाया।
अपने आपको बेड के निचे पाया।।
मैंने सोचा मुझे क्या हो गया।
बिस्तर से तकिया कहाँ खो गया।।
दूर पड़ी तकिये को देख मुझे राहत आयी।
तब जाकर मुझे नींद आयी।।
कल रात जब मै सो रहा था।
सपनो की दुनियाँ में खो रहा था।।
कविः- कुलदीप कुमार, कक्षा -9th, अपना घर, कानपुर,
2 टिप्पणियां:
वाह! बहुत सुंदर रचना। सलाम आपकी रचनात्मकता को!!!
dhanyvad sir
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