"जब -जब मुझको कुछ याद न आता "
जब -जब मुझको कुछ याद न आता |
तो तेरी याद आती है ,
मेरी नजरें ढूढे तुझे |
क्या तू मेरे पास बैठी है ,
जब भी मैं कुछ गलती करता |
मुझको माफ़ तू करती है ,
लेकिन क्या है खाश तुझमे |
जो तू मेरी गलती सहती है ,
जब भी मै फोन करता |
मैं कैसा हूँ ,खाना खाया ,न खाया ,
पहले पूछती हूँ |
मेरी माँ तू ही तो है ,
जो मुझसे प्यार करती है |
कवि : महेश कुमार , कक्षा : 7th
अपना घर
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