"गरजता है बरसता नहीं "
गरजता है |
बरसता नहीं ,
चक्कर घिन्नी -सा घूमता रहता है |
माथे पर हर बार ,
जाने कहाँ से लेकर आया है |
वो अपना रंग हर कोई दुसता है ,
आसमान में ठहर गए है |
बादल अपनी मर्जी का मालिक है ,
गरजता है |
बरसता नहीं,
कवि : राहुल कुमार , कक्षा : 7th
अपना घर
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