"मैं असफलता से जूझ रहा था "
मै बैठकर कुछ सोच रहा था |
मंजिल की राह में कितना जूस रहा हूँ ,
छोटी - छोटी असफलता से जीवन में |
कितना मुसीबतों से लड़ना पड़ रहा है ,
कभी उदास होकर , रूम में रोता रहता हूँ |
तो कभी खुद को मोटीवेट करता हूँ ,
खुद पर भरोसा रखकर मैं |
और कड़ी मेहनत मैं लग जाता हूँ ,
हर एक चीज़ में ख़ुशी को तलासे करता हूँ |
काश वो एक दिन तो आयेगा ,
जब असफलता भी मंजिल को कदम चूमेंगी |
मैं बैठकर कुछ सोच रहा था,
कवि : सार्थक कुमार , कक्षा : 11th
अपना घर
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