गुरुवार, 3 फ़रवरी 2022

कविता : "मैं असफलता से जूझ रहा था "

"मैं असफलता से जूझ रहा था "

मै बैठकर कुछ सोच रहा था | 

 मंजिल की राह में कितना जूस रहा हूँ ,

छोटी - छोटी असफलता से जीवन में | 

कितना मुसीबतों से लड़ना पड़ रहा है ,

 कभी उदास होकर , रूम में रोता रहता हूँ | 

तो कभी खुद को मोटीवेट करता हूँ ,

खुद पर भरोसा रखकर मैं | 

और कड़ी मेहनत मैं लग जाता हूँ ,

हर एक चीज़ में ख़ुशी को तलासे करता हूँ | 

काश वो एक दिन तो आयेगा ,

जब असफलता भी मंजिल को कदम चूमेंगी | 

मैं बैठकर कुछ सोच रहा था,

कवि : सार्थक कुमार , कक्षा : 11th 

अपना घर


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