"माँ की याद आती है "
माँ आज मुझे तेरी बहुत याद आ रही है |
तेरी वो लोरिया लगता है मुझे बुला रही है ,
कैसे होगी मेरी माँ ये बहुत सताता है |
फोन पर बात करते वक्त रोना भी आ जाता है ,
वो मुझे अपने गोद में उठाती थी |
रूठ जाऊ तो बार -बार मनाती थी ,
पता नहीं इतना सारा प्यार मेरे लिए कहाँ से आती थी |
अपने काम से लौट के ,
मेरे लिए कुछ न तो कुछ जरूर लाती थी |
जब रूठ जाऊ तो खूब प्यार जताती थी ,
माँ आज तेरी बहुत याद आ रही है |
कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 12TH
अपना घर
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