गुरुवार, 17 फ़रवरी 2022

कविता : "माँ की याद आती है "

"माँ की याद आती है "

माँ आज मुझे तेरी बहुत याद आ रही है | 

तेरी वो लोरिया लगता है मुझे बुला रही है ,

कैसे होगी मेरी माँ ये बहुत सताता है | 

फोन पर बात करते वक्त रोना भी आ जाता है ,

वो मुझे अपने गोद में उठाती थी | 

रूठ जाऊ तो बार -बार मनाती थी ,

पता नहीं इतना सारा प्यार मेरे लिए कहाँ से आती थी | 

अपने काम से लौट के ,

मेरे लिए कुछ न तो कुछ जरूर लाती थी | 

जब रूठ जाऊ तो खूब प्यार जताती थी ,

माँ आज तेरी बहुत याद आ रही है | 

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 12TH 

अपना घर

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