"कल -कल करते है सब "
कल -कल करते है सब |
फस गए है हम अब ,
हर काम में आ जाता है कल |
पर कब आता है ये कल ,
काम से बचने का अच्छा तरिका |
सबका कल इसी कल पर टिका ,
हर चीज में होता है कल |
जीवन बिता पर ख़त्म न हुआ ये कल ,
किसने ये शब्द बनाया |
सारी दुनियाँ को इसने है सताया ,
कल -कल करते है सब |
कवि : कुल्दीप कुमार , कक्षा : 10th
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