" नया कुछ करने का"
अब जा के मन को राहत मिल रहा |
फूलो के होटो पर एकनया मुस्कान खिला रहा है ,
चहचाती हुए चिड़िया भी |
एक दूसरे से मिल रहा ,
गिलहरी की आवाज |
मन को छू जा रहा ,
मन को न मिले |
पर गिलहरी को राहत मिल पा रहा ,
ये फाल्गुन के मौसम में मन करता है |
कुछ नया करने का ,
आगे बढ़ने का और राह पर चलने का |
ये फाल्गुन के मौसम में मन करता है ,
नया कुछ करने का |
कवि : अजय कुमार , कक्षा : 7th
अपना घर
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