" गरजने दो बादल को अब "
गरजने दो बदल को अब ,
बरसने दो पानी को अब |
मौसम है हरियाली का ,
गायेंगे सब गीत खुशहाली का ,
मेंढक खूब बोलेंगे |
अपने दिल की राज खोलेंगे ,
बच्चे कागज के कस्ती संग |
करेंगे मस्ती और तंग ,
बच्चे बूढ़े और जवान |
चलेंगे जब सीना तन ,
गिराने से चली जाएगी शान |
गरजने दो बादल को अब,
बरसने दो पानी को अब |
कविः - शनि कुमार ,कक्षा, 9th, अपना घर, कानपुर
2 टिप्पणियां:
सुन्दर
Sushil Jee Dhanywad
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