"दिन अब छोटी होने लगी है"
दिन अब छोटी होने लगी है।
रातें बड़ी होने लगी है।।
दिन की गर्मी फीकी पड़ने लगी है।
रातों की ठण्डी पैरों को छूने लगी है।।
ठण्ड शर्द हवाएं चलने लगी है।
चारो दिशाओं में धुंध छाने लगी है।।
अब आसमां में भी असर दिखने लगी है।
अब धीरे - धीरे ठंडी दस्तक देने लगी है।।
शाम जल्दी होने लगी है।
शाम को रौशनी कम होने लगी है।।
सुबह की धूप अच्छी लगने लगी है।
दिन अब छोटी होने लगी है ।।
कविः- नितीश कुमार ,कक्षा - 10th ,अपना घर , कानपुर ,
कवि परीचय : शांत स्वभाव के नितीश कुमार बिहार के नवादा
जिले से अपनाघर में पढ़ाई के लिए आया हैं | इनको कविताएं लिखना बहुत पसन्द है
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