"दीपावली"
आ गयी फुलझड़ी के दिन।
जगमगा उठा शहर।।
लटकने लगी है झालर छतों पर।
चमकने लगा घर और आँगन।।
रंगोली बानी जमीन पर।
दिये, पटाखे अब जलने लगे।
उनकी आवाज से शहर।।
अब गूँजने लगे।
खुशियाँ अब बाटेंगे हम।।
दीप जलाकर।
दीपावली मनाएंगे हम।।
पटाखे जलाकर।
कविः - प्रांजुल कुमार ,कक्षा - 11th , अपना घर , कानपुर ,
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