बुधवार, 28 अक्टूबर 2020

कविता : - दीपावली

"दीपावली"
आ गयी फुलझड़ी के दिन। 
जगमगा उठा शहर।।
 लटकने लगी है झालर छतों पर। 
चमकने लगा घर और आँगन।।
रंगोली बानी जमीन पर। 
दिये, पटाखे अब जलने लगे। 
उनकी आवाज से शहर।।
अब गूँजने लगे।  
खुशियाँ अब बाटेंगे हम।।
दीप जलाकर। 
दीपावली मनाएंगे हम।।
पटाखे जलाकर। 
कविः - प्रांजुल कुमार ,कक्षा - 11th , अपना घर , कानपुर ,


कवि परिचय :- यह हैं प्रांजुल जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं और कानपुर के अपना घर नामक संस्था में रहकर अपनी पढाई कर रहे हैं।  प्रांजुल को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है।  प्रांजुल पढ़कर एक इंजीनियर बनना चाहते हैं और फिर इंजीनियर बनकर समाज के अच्छे कामों में हाथ बटाना चाहता हैं। प्रांजुल को बच्चों को पढ़ाना बहुत अच्छा लगता है।

कोई टिप्पणी नहीं: