सोमवार, 19 अक्टूबर 2020

मै आसमां को निहारता रहता हूँ

" मै आसमां को निहारता रहता हूँ "

मै आसमां को निहारता रहता हूँ ,

उड़ते हुए पक्षियों को देखा करता हूँ | 

आसमां में बनात द्रश्य ,

कितने ख़ूबसूरत लगते हैं  |

बस उसी को निहारता रहता हूँ ,

मै  आसमां  को देखा करता हूँ | 

दिन से रात  हो गये  अब सुबह की बरी है ,

चिडिंयो  की आवाज बहुत प्यारी है  |

सुबह की खुशहाल जिंदगी की बरी हैं ,

सुबह की ओंस मोतियों से भी प्यारी है  |

मै आसमा को निहारता रहता हूँ ,

उड़ाते हुए पक्षिंयों को देखा करता हूँ  |

कविः - संजय कुमार , कक्षा - 10 th , अपना घर ,

 


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