" मै आसमां को निहारता रहता हूँ "
मै आसमां को निहारता रहता हूँ ,
उड़ते हुए पक्षियों को देखा करता हूँ |
आसमां में बनात द्रश्य ,
कितने ख़ूबसूरत लगते हैं |
बस उसी को निहारता रहता हूँ ,
मै आसमां को देखा करता हूँ |
दिन से रात हो गये अब सुबह की बरी है ,
चिडिंयो की आवाज बहुत प्यारी है |
सुबह की खुशहाल जिंदगी की बरी हैं ,
सुबह की ओंस मोतियों से भी प्यारी है |
मै आसमा को निहारता रहता हूँ ,
उड़ाते हुए पक्षिंयों को देखा करता हूँ |
कविः - संजय कुमार , कक्षा - 10 th , अपना घर ,
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें