गुरुवार, 15 अक्टूबर 2020

कविता : नदियों के बीच से आती वो

" नदियों  के  बीच से  आती वो "

 नदियों के  बीच से  आती वो।
किलकारिंयो भरी आवाज।।
भरी गोद , अब याद  आती है।
खिलखिलाहट भरी मुस्कान।।
 आती है वो पुरानी  साड़ी  का मखमल।
भरा वो आँचल।।
लोरिंयो से भरी  वो रात।
माँ की सिखायी हर बात।।
बहुत याद आती  है।
छोटे - छोटे पैरों से बने पद चिन्ह।।
बचपन की  करते शरारते।
ननिहाल में बिताये वो दिन।।
बहुत  याद आते है ,
नदियो के बीच से  वो। 
किलकारियों भरी अवाज।।

कविः राज कुमार ,कक्षा :11th , अपना घर, कानपुर 

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