" काले - काले बादल "
काले - काले बादल छाए,
बाद में खूब बूँदें बरसाए|
बच्चों ने भी बहुत मौज उड़ाए,
लेकिन परिजन खूब घबराए |
काले - काले बादल छाए,
मोर , मेढ़क खूब शोर मचाए |
हरियाली चारो तरफ बेझिझक छाए
पेड़ पौधों में नए पत्ते निकल आए |
गर्मी को कर दिया बाय - बाय ,
काले - काले बादल छाए | |
कवि : कामता कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक " काले काले बादल " कामता के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | कामता को कवितायेँ लिखना अच्छा लगता है | कवितायेँ के शिक्षक छोटे होते हैं पर मेसेज बड़े होते हैं | कामता को कुछ नया सीखना अच्छा लगता है |
1 टिप्पणी:
वाह! बहुत सुंदर।
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