" रक्षाबंधन "
सोचते सोचते मुझे याद आया,
एक बहुत अच्छी सी बात |
रक्षाबंधन है बहुत पास |
लेकिन कोरोना भी बैठा है पास,
क्या लगाए बैठा रहूँगा मैं आस |
कैसे करूँगा बहन को मैं खुश,
बिना राखी के हो जाएगी दुःख |
न मिठाई और न ही है राखी,
आज नाखुश हैं सारे साथी |
रक्षा तो करेंगें अपनी बहनों का,
क्योंकि रिश्ता है हमारे जन्मों का |
पहले कोरोना से उसे बचाएँगे,
फिर मिलकर रक्षाबंधन मनाएगें |
कवि : गोविंदा कुमार , कक्षा : 4th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता गोविंदा के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | गोविंदा ने यह कविता रक्षाबंधन पर लिखी है की कैसे कोरोना से छुटकारा पाकर रक्षाबंधन मनाएगे | गोविंदा को कवितायेँ लिखना अच्छा लगता है |
4 टिप्पणियां:
सुन्दर कविता
बहुत सुंदर
सुन्दर कविता
सुंदर सृजन।
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