बुधवार, 18 नवंबर 2020

कविता :- कभी ख्वाबों में न देखा था

 "कभी ख्वाबों में न देखा था"
कभी ख्वाबो न देखा था।
न कभी सपनो में सोचा था।।
ये समाज कितना अलग है।
छुआ - छूत अमीरों का  बोलबाला है।।
कई प्रकार के लोग है यहां पर। 
कुछ दयालू और कुछ कठोर दिल रहते यहां पर।।
राजनीति का बोलबाला है। 
जो बाहुबली वही सरकार बनाने वाला है।।
जो जाति धर्म पर लड़वाने वाला है। 
शिक्षा स्वास्थ पर करवाते न काम।।
 गरीबी बेरोजगारी का मचा कोहराम। 
इन सब पर कोई न करवते काम।।
सारे पैसे हजम कर जाते।
गरीब असहाय भूखे  मर जाते।।
कभी ख्वाबों में न सोचा था। 
कभी सपनों में न देखा था।।
कविः- नितीश कुमार, कक्षा -10th ,अपना घर, कानपुर,
 
कवि परीचय : शांत स्वभाव के नितीश कुमार बिहार के नवादा  जिले से अपना घर में पढ़ाई के लिए आये  हैं। इन्हें कविता लिखना पसंद है।

 
 

9 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर सृजन

BAL SAJAG ने कहा…

dhanyvad sushil kumar joshi sir

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 19
नवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Amrita Tanmay ने कहा…

नितीश के लिए मंगल कामनाएं । उसकी लेखनी मुखर हो ।

सधु चन्द्र ने कहा…

नीतीश के लिए अशेष शुभकामनाएँ
वह रचनात्मकता में निरंतर आगे बढ़े।

मन की वीणा ने कहा…

बहुत सुंदर सृजन ,
सदा लेखन और परिमार्जित होता रहे शुभकामनाएं।

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत सुन्दर सृजन....
अनंत शुभकामनाएं प्रिय नितीश!

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

सुन्दर लेखन असीम शुभकामनाओं के संग बधाई

BAL SAJAG ने कहा…

App sabhi ko bahut-bahut dhanyavad kavita padane ke liye