"समय"
इस वक्त को पकड़ना।
किसी के बस में नहीं।।
वक्त के पीछे दौड़ सकते हो।
उसके आगे नहीं।।
हर वक्त एक नया मोड़ लाती है।
हर भटकते लोग का ।।
सहारा बन जाती है।
वक्त का पहिया कभी नहीं रुकता।।
बस आगे बढ़ता जाता है।
कविः- समीर कुमार, कक्षा -10th , अपना घर, कानपुर,
कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है। जो की प्रयागराज के रहने वाले हैं। समीर ने यह कविता एक गाने पर लिखी है। समीर को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है अपनी कविताओं से औरों को भी प्रभावित करते हैं।
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