"एक दूसरे के वास्ते हर इंसान बना है"
एक दूसरे के वास्ते हर इंसान बना है।
हर एक इंसान से ये संसार बना है ।।
खुश है यहाँ तो कोई दुःख में ।
इन्ही पंक्तियों से ही ब्रांड सजा है ।।
जिंदगी जीने के लिए कोई परिश्रम कर रहा है।
जिंदगी को छीनने का सड़यंत्र रच रहा है ।।
बिना लड़े बिना दूसरों को दुःख पहुचाये।
ये संसार कहाँ खुशहल रह रहा है।।
एक दूसरे के वास्ते हर इंसान बना है।
हर एक इंसान से ही ये संसार बना है।।
कविः- समीर कुमार, कक्षा -10th, अपना घर, कानपुर,
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