" मेरी प्यारी माँ "
माँ दिल बच्चों की तरह रोता है,
तेरे ही आँचल में आकर सोता है |
मेरी सारी सिसकियाँ बंद हो जाती है,
जब तू मेरी छाती को सहलाती है |
मुझे छोटे से परवरिश करती है तू,
मेरी हर ख्वाईश को पूरा करती है तू |
मुझे मारती है तो तेरे हाथ रुक जातें है,
क्योंकि तू मुझे मन से प्यार करती है |
मेरे छोटे पाँव को काँटों से बचाती है,
नज़र न लगे तो गालों में काजल लगाती है |
माँ मैं तेरे कर्ज को कभी नहीं चुका सकता,
इस जहाँ में तेरे जैसा पा नहीं सकता |
मैं भगवान से माँगूँगा जब दुवा,
मुझे फिर मिले तेरे जैसी ही माँ |
मेरी प्यारी माँ ,मेरी प्यारी माँ | |
कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 11th , अपना घर
1 टिप्पणी:
बहुत प्यारी कविता! बधाई!!!
एक टिप्पणी भेजें