" एक पेड़ "
जब मैं बैठा था एक पेड़ के पास ,
कुछ नया सोचने के लिए |
हवाएँ चली बारिश आई,
मुझे तंग करने के लिए |
मुझे पता न चला कि
मेरे पास ही एक पेड़ था,
जो गिर पड़ा मुझे डरने के लिए |
मैं नहीं डरा चलता रहा,
अपनी खोई हुई मंजिल का पाने के लिए |
उस बारिश और हवा में जाने क्या था,
जो बस मुझे छू कर जा रहा था |
मैं जनता उसमें कोई तो है,
जो मुझसे कुछ कहना चाहता था |
कवि : समीर कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता समीर के द्वारा लिखी गई है जो की प्रयागराज के रहने वाले हैं | समीर को कवितायेँ लिखना बहुत अच्छा लगता है और साथ ही साथ गीत भी गाना अच्छा लगता है | बड़े होकर एक संगीतकार बनना चाहते हैं |
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