" मेरा बचपना "
तीन साल पहले मैं कितना छोटा था,
अब मैं बस बढ़ चला हूँ |
मेरी आज़ादी अब छीनने लगी है,
मेरी जिंदगी बदलने लगी है |
पहले मैं आज़ादी से घुमा करता था,
बिना बेवजह शैतानियां किया करता था |
न मुझे डर था और न मुझे था भय,
मुझे ही करना पड़ता था काम तय |
बड़े होने पर बचपना छीन गया,
जो भी था सब चला गया |
शायद वह दिन फिर से आए,
मेरा बचपना काश लौट कर आए |
कवि : अपतर अली , कक्षा : 3rd , अपना घर
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