" फूलों की खुशबू "
मौसम है सुहाना,
और सुहाना है ये जहाँ |
फूलों की खुशबू महके,
प्रकति में हलचल हो वहाँ |
मधुमक्खियों की भनभनाहट,
शहद से भरी छत्तों की बनावट |
उतनी ही मीठा होती है,
जितनी अच्छी फूलों खुशबू होती है |
महक उठा है वातावरण,
चहक उठा है चिड़ियों का गगन |
अब आँखों में न होंगें आँसू,
क्योंकि चेहरे पर है फूल जैसी खुशबू |
कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 11th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक " फूलों की खुशबू " प्रांजुल के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | प्रांजलको कवितायेँ लिखने के साथ चैत्राकला भी बहुत अच्छी लगती है | गणित में बहुत रूचि रखते हैं |
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