" कोरोना मियाँ "
कितने सुंदर वो दिन थे,
जब एक साथ घूमते थे |
कोई कुछ नहीं कहता था,
अपनी मन मर्जी किया करते थे |
अब जाने कैसा दिन आ गया
रोकते है एक दूजे को पास आने से |
उस दिन की यादें घूम रही है,
सपनों में बस झूम रही है |
छीन ली हमारी खुशियाँ,
अपने छोटे कोरोना मियाँ |
कितने सुंदर वो दिन थे,
जब एक साथ घूमते थे |
कवि : साहिल कुमार , कक्षा : 4th , अपना घर
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