सोमवार, 1 जून 2020

कविता : कोरोना मियाँ

" कोरोना मियाँ "

कितने सुंदर वो दिन थे,
जब एक  साथ घूमते थे |
कोई कुछ  नहीं कहता था,
अपनी मन मर्जी किया करते थे | 
अब जाने कैसा दिन आ गया 
रोकते है एक दूजे को पास आने से | 
उस दिन की यादें घूम रही है,
सपनों में बस झूम रही है |   
छीन ली हमारी खुशियाँ, 
अपने छोटे कोरोना मियाँ | 
कितने सुंदर वो दिन थे,
जब एक  साथ घूमते थे |


कवि : साहिल कुमार , कक्षा : 4th , अपना घर

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