मंगलवार, 16 जून 2020

कविता : गर्मी |

" गर्मी "

बढ़ती हुई गर्मी ने,
कर दिया बुरा हाल | 
ढूँढा कूलर ,पंखा,
करना पड़ा बिजली का इन्तज़ार | 
बिजली वाले को फोन कर रहे हज़ार,
जान निकल रही बिजली दो यार | 
नहीं बता रहे बिजली का समाचार,
बिजली के सिवाए कोई नहीं उपचार |
लोग हो रहे परेशां मन करता है लगा ले,
तालाब में डुबकी चार | 
बढ़ती हुई गर्मी ने,
कर दिया बुरा हाल | 

कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर

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