"समय "
जीवन का पल-पल एक सोना है ,
कब बीता समय लौट नहीं पाता |
इनका न एक पल भी खोना है ,
जो पल को न संभल सका |
उसे क्या पाता दिन और रात ,
मंजिल के ओर बढ़ते कदम भी |
बरबस होकर पीछे को मुड़ जाता है |
जो इंसान पल को नहीं समझा ,
वह आगे कभी नहीं बढ़ता है |
जो उपयोग करता है पल का,
वह उच्च शिखर पर पहुँचता है |
कवि :संतोष कुमार ,कक्षा :9th
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