"संघर्ष "
देख है हजारों की संघर्ष,
जब नहीं थे चीजे उपलब्ध |
लोगो में थे आपसी संबंध ,
न थी एक दूसरे के प्रति घमंड |
उम्मीदों की छाया बनते थे वह सब ,
मुशीबतो के आने पर ,
जीत हो या हर हो
संघर्ष जारी रहता था |
देखा है हजारों की संघर्ष ,
जब नहीं थी चीजे उपलब्ध |
कवि : अमित कुमार
कक्षा : 10th
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