"राह "
राह जिस पर जिंदगी होती है शुरू ,
चल देते है अपने मकसद को लेकर |
जिंदगी में लोगे खाते है ठोकर ,
फिर भी मुस्कुराते रहते है |
नदी भी हमे कुछ बता जाती है ,
रुकना नहीं है सिखा जाती है|
जिंदगी में आएगा रूकावट,
उससे पार करना सीखा जाती है |
चाह वाला राह सही होता है ,
बस कुछ बनने का अपना होता है |
कवि :अजय कुमार,कक्षा :10th
अपना घर
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