"पहरा "
ख्वाबों पर पहरा ,
पर हर कदम कठिनाई से चला |
किसी तरह उस ओर तक पहुँचा ,
जंहा कब्र का निशान मिला |
जिज्ञासा हो रहा था मुझमे ,
पर हमारे लिए वक्त काम था |
ख्वाबों पर पहरा ,
चांदनी रात की शाम थी |
सोचा था कुछ अनोखा ,
पर यह बात दिल को दर्द देता था |
ख्वाबो पर पहरा ,
जैसे सपनो का मर जाना |
अब बस सुकून के लम्हे गुजरना ,
पर ख्वाबो पर पहरा |
कवि :अमित कुमार ,कक्षा 10th
अपना घर
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