"मंजिल"
कितना भी पास हो हमारी मंजिल |
उसे पाना आसान नहीं ,
जिंदगी की हर एक मोड़ |
सीधी नहीं होती ,
थक जाना थक कर फिर चलना |
रुकने का जहन में कभी नाम नहीं ,
पसीने से लथपत हो जाना |
पर जिंदगी और मंजिल के ,
रास्तें पर न रुकना |
दर्शाता है हर एक व्यक्ति की ,
मेहनत को और शाहस को |
कभी भी अकेले न छोड़ना ,
कवि : समीर कुमार , कक्षा :11th
अपना घर
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