"आ गई रौनक उन पौधों में "
आ गई रौनक उन पौधों में |
जो कब से पड़ा था बेजान ,
गरज -गरजकर बरसा ऐसे |
जो खिल -खिला उठे ,
मुड़ झाए हुए पौधे |
इस बेमौसम बारिश ने ,
दे दिए एक ऐसा सौगात |
जो पूरी उम्र रहेगा उन्हें याद ,
आ गई रौनक उन पौधों में |
कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 11th
अपना घर
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