"कवि का एक मक्सद होता है "
कवि का एक मक्सद होता है |
उसके लिखे हुए पंक्तियाँ भी ,
मुर्झाए को भी खिला देती है |
हक़ीक़त में बदलना हो ,
तो देखते है सपने दिन -रात |
क्योंकि पंक्तियाँ भी होती है कुछ खाश ,
कवि ऐसे ही नहीं बन जाते |
उस कविता में ढालना पड़ता है ,
बस चार लाइनों में लिखा रहता |
जैसे झरना गिरता हो कही आस -पास ,
यह कवि का संदेश है |
मत भागों किसी के पीछे ,
खुद पर रखो विश्वास |
कवि : सुल्तान कुमार , कक्षा : 7th
अपना घर
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