"चमकता सूरज "
चमकता हुआ सूरज |
आज डूबने को है ,
कल यही सूरज |
एक नया सवेरा लाने को है ,
कौन जानता है |
जो आज हम सूरज देख रहे है ,
कल शायद हम न देखे |
लोग सोचते है ,
आज जो सूरज देखा है |
वो फिर कल निकलेगा ,
लोग सोच में रहते है |
एक नई उम्मीद की ,
एक नई चमकती हुई रोशनी की |
शायद हम आज कुछ कर जाए ,
कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 11th
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