" माँ "
जब आँख खुली थी आँगन में |
तो माँ का एक सहारा था ,
माँ का नन्हा दामन मुझको |
दुनिया से भी प्यारा था ,
उसी गोद में रहना हर पल |
मेरा आसमान में उड़ने जैसा था ,
चाहे कितना भी हो जाऊ बड़ा |
आज भी तेरा बच्चा हूँ , और कल भी बच्चा था ,
जी करता माँ रहू मैं तेरे पास हर पल |
जब आँख खुली थी आँगन में ,
तो माँ ला एक सहारा था |
कवि : महेश कुमार , कक्षा : 7th
अपना घर
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