" हमारा राजनीतिक दौर कैसा है "
हमारा राजनीतिक दौर कैसा है,
वादों की तो पोटली सा खोलता |
वक्त पर सबसे प्रेम से बोलता,
बेरोजगारी दूर करने की न सोचता |
हमारा राजनीतिक दौर कैसा है,
दिल जितने के लिए तरीके अपनाता |
चुनाव जितने के लिए कुछ भी कर जाता।
हमारा राजनितिक दौर कैसा है |
साथ अनजान को भी गले लगाता,
पर लोग क्या करे समाज ही ऐसा है |
हमारा राजनीतिक दौर कैसा है | |
कवि : रविकिशन
कक्षा : १२
अपनाघर
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