" रात को बैठकर कवित लिख रहा हूँ "
रात को बैठकर कविता लिख रहा हूँ ,
कितनी मुश्किल जिंदगी जी रहा हूँ |
तो भी हसी - ख़ुशी से जी रहा हूँ ,
यही तो हमारी जिंदगी है |
बस अच्छे से जी रहा हूँ ,
जिंदगी में मुश्किल परिस्थिति आती |
उस से लड़ के जी रहा हूँ ,
लड़ -लड़ के आगे बड़ रहा हूँ |
जिसको हसिल करना है उसी के पीछे दौड़ रहा हूँ
कवि : अजय कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर
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