शनिवार, 10 अप्रैल 2021

कविता : " रात को बैठकर कवित लिख रहा हूँ "

  " रात को बैठकर कवित लिख  रहा हूँ "

रात को बैठकर कविता लिख रहा हूँ ,

कितनी मुश्किल जिंदगी जी रहा हूँ  |

तो भी हसी - ख़ुशी से जी रहा हूँ  ,

यही तो हमारी जिंदगी है  |

बस अच्छे से जी रहा हूँ  ,

जिंदगी में मुश्किल परिस्थिति आती | 

उस से लड़ के जी रहा हूँ  ,

लड़ -लड़ के आगे बड़  रहा हूँ | 

जिसको हसिल करना  है उसी के पीछे दौड़ रहा हूँ

कवि : अजय कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर

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