" आम लगी है डाली -डाली "
आम लगी है डॉली डॉली ,
क्यों की आई है हरियाली |
खाने को है ललचाया ,
मन मचला तोड़ आया |
खाते - खाते आम मालिक है आया ,
बच्चो को खूब दौड़ाया |
दौड़ने की रफ़्तार बड़ी थी ,
आम खाने को जो आदत पड़ीं थी |
कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर
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