मंगलवार, 13 अप्रैल 2021

कविता : " आम लगी है डाली -डाली "


 " आम लगी है डाली -डाली "

 आम लगी है डॉली डॉली  ,

क्यों की आई है हरियाली | 

खाने को है ललचाया ,

मन मचला तोड़ आया  | 

खाते - खाते आम मालिक है आया ,

बच्चो को खूब दौड़ाया | 

दौड़ने की रफ़्तार बड़ी थी ,

 आम खाने को जो आदत पड़ीं थी | 

कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 10th  , अपना  घर

कोई टिप्पणी नहीं: