" काश मै हवा बन जाऊ "
काश मै हवा बन जाऊ ,
हर गली -मोहल्ले सेगुजर जाऊ |
बाग़ - बगीचे में सैर कर आऊँ ,
जब चाहे मन करता |
तब मै उड़ता फिरुँ ,
पेड़ -पौधे के साथ |
खूब मौज -मस्ती करुँ ,
शाम डलने पर चुपचाप शांत हो जाऊँ |
मै तो बस हवा हूँ ,
मुझे पूरी दुनिया को जीवित है रखना |
कवि : नितीश कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर
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