रविवार, 18 अप्रैल 2021

कविता :" एक खेल है साबकी प्यारी "

"  एक खेल है साबकी प्यारी "

 एक खेल है साबकी प्यारी ,

हर जगह है क्रिकेट की महामारी | 

लोग बैठे करते है चर्चे ,

जगह -जगह बाट रही है पर्चे |

धोनी - धोनी  आवाज लगाते ,

विराट कोहली नाचते गाते | 

पंड्या के छक्के सबको  भाते  ,

बुमराह भी खूब यार्कर आजमाते  | 

रोहित भैया शतक -पे शतक लगाते  ,

धवन भी छक्के - चौके खूब बरसाते  | 

कभी अंदर बाहर होते नटराजन  भैया ,

कई बार कराई है इन्हों ने नइया | 

मोटा है महारा पंत ,

करता है मैच का अंत | 

 एक खेल है साबकी प्यारी ,

हर जगह है क्रिकेट की महामारी |

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर


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